मंगलवार, 4 जनवरी 2011

विधायक के हत्या से जुड़्ल कुछ सवाल


 आज एगो अचंभित क देवे वाला समाचार प्राप्त भईल. समाचार इ बा कि पूर्णिया विधायक राजकिशोर के रूपम पाठक नाम के एगो महिला चाकु से मार के हत्या क देलक. विधायक से मिले उनका आवास पर उ गईल रहे आ अपना शाल में चाकु छुपा के ले गईल रहे. चाकु विधायक के ताप तिल्ली में लागल आ अधिक खून बहला से उनकर मृत्यु हो गईल. विधायक के समर्थक लोग ओह महिला के जमके पिटाई कईलक लेकिन महिला  बच गईली.
ऐसे पहिले उ महिला विधायक पर यौन शोषण के आरोप लगैले रहली लेकिन इ आरोप साबित ना हो पाईल. खबर में इ बतावल गईल बा कि महिला मुकदमा हार गईला से काफ़ी परेशान रहली. ऐसे उ काम कईली. महिला जब अपन बयान दीहें तब विशेष बात पता चली. लेकिन  इ घटना तनका सोचे के विवश क देहले बा. आ सोचे के चाहीं
पहिला बात, कि महिला कौन परिस्थिति मे विधायक के हत्या के निर्णय लेहले होई. जबकि उ जानते होइ कि विधायक के पास हमेशा कुछ सुरक्षा कर्मी रहेलें. ओकरा के बीच में जा के हत्या कईल आसान बात ना हॊइ. ओ महिला के हिम्मत के दाद देवे के होइ की उ नतिजा के परवाह ना कईलक.
दोसर बात, विधायक के सुरक्षा के का इंतज़ाम रहे कि उ विधायक के एतना नजदिक पहूंच गईल चाकु लेके . महिला के विधायक से केस चलल रहे  तबो महिला विधायक के पास पहूंच गईल नजदील में, ओकरा के कॊइ रोकलक ना.
तीसर बात, यौन उत्पीड़्न से संबधित बा. का  कोर्ट इ यौन उतपीड़्न के ठिक से सुनवाई कईलक. ए पर हमरा संदेह बा. ए सब मामला मे लोग महिलामन के प्रति शक के निगाह से देखे लागेला. इ बात होखे लागेला कि महिला आपन कौनो हित साधेला शक्तिशाली पुरुष से जुड़ल आ ओकर हित ना सधल त उ ऐसन आरोप लगा देलक.  सच्चाई इ बा कि महिला की स्थिति अपना समाज में एतना कमजोर बा कि उ अईसन आरोप बड़ा हिम्मत करके लागावेला. जौना समाज में महिला के छुअला से भी ओकर इज्जत के खोये के भय रहेला उ इ आरोप लगावे से पहिले हजार बार सोची. ह्मनी के समाज में महिला के मजबुर कईल जाला कि उ समर्पण करेला मजबुर हो जाये तब ओकरा ई मजबुरी के फ़ायद उठावल जा सके. रूपम पाठक के मामला ऐसे अलग नईखे. कोर्ट से हार गईला के बाद उ कौन मानसिक स्थिति में होईहे कि हत्या कईला के आलावे उनका कौनो रास्ता ना सुझल.
बिहार में पिछला कुछ ऐसन मामला में कबो पीड़ीत के इंसाफ नईखे मिलल. चाहे उ गौतम-शिल्पी हत्याकांड होखे या चंपा विश्वाश कांड. ए दुनु मामला के संगती में एह मामला के देखल जाव त कुछ और चीज समझ में आ जाई. जैसन इ सब मामला में आरोपी पक्ष नेता रहल आ पीड़ीत पक्ष शिक्षित आ संपन्न. हमनी के देश में कानुनों आजकल नेता के चौखट पर जाके दम तोड देवे ला. तबे त ए.राजा आ कलमाड़ी जैसन लोग छुट्टा घुमेला आ विनायक सेन जैसन शिक्षित बुद्धिजीवि के खिलाफ़ कोर्ट तुरत फ़ैसला लेवेला. रूपम पाठक के मामला में कोर्ट केतना निश्पक्ष रहल होई इ सोचल जा सकता. शिक्षित आ संपन्न लोग भी ए जाल में फ़ंस जाता आ इंसाफ़ नईखे पावत त कमजोर जनता के का होई.
बिहार में कुछ दिन से विधायक लोग गलत काम ला चर्चा में बा लोग. लगभग साल भर पहिले एगो विधायक आत्महत्या क लिहले रहलें. कुछ दिन पहिले एगो विधायक के पति अपना विधायक पत्नी के पीटले रहलें. विधायक होते हुए भी पत्नी के पीटले एमे उनकर महिला रहल भी एगो कारण रहे.
खैर, ए मामला के सच्चाई जे भी होखे लेकिन ए सच्चाई से इनकार नईखे कईल जा सकता कि हमनी के समाज में अबो महिला सब के प्रति हमनी के नजरिया बढिया नईखे. तबे ऐसन ऐसन घटना एगो नियमित अंतराल पर सामने आवेला. कौनो भी घटना खाली व्यक्ति के घटना ना होला. ओकर पैदाईश समाज में होला. त इ हमनी के सोचे के पड़ी कि हमनी के महिला के का स्थान आ सम्मान दे तानि सन ? अतः समाज में ही ओकर निदान होइ. ओकरा के बराबरी के स्थान देवे के पड़ी जौन ओकर वाजिब हक बा. ना त अईसने बर्बर समाज के निर्माण जारी रही. समाज में स्खलन जारी रही.

गुरुवार, 10 सितंबर 2009

gajal

ये दिल ये पागल दिल मेरा क्यों बुझ गया आवारगी
इस दस्त में एक शहर था वो क्या हुआ आवारगी
इक अजनबी झोंके ने जब पूछा मेरे गम का शबब
सहारा की भीगी रेत पर मैंने लिखा आवारगी
इक मै की सदियों से तेरे हमराज भी हमराह भी
इक तू की मेरे नाम से ना आशना आवारगी
कल रात तनहा चाँद को देखा था मैंने ख्वाब में
मोहसिन मुझे रास आएगी शायद सदा आवारगी